Manjari Corner
89 small enterprises have been established under our Entrepreneurship Development Program with DS Group, across various locations. A public awareness rally was organized in Zawar to highlight the significance of literacy. Banda, Uttar Pradesh, where Manjari Foundation is actively working on water conservation, wins Best District award at 5th National Water Awards. Mega Bank Credit Linkage camp organized in Kalinagar village, Rudrapur, where ₹1.25 crores were disbursed in loans to 101 SHGs. Hand over of essential initiatives carried out in Badgaon & Pipret villages, including Aanganwadi, schools, hostels, bus stop, open gym & women-led pickle unit in partnership with SBI Card.

टीम मंजरी की कलम से रिट्रीट के खट्टे-मीठे अनुभव!

टीम मंजरी की कलम से रिट्रीट के खट्टे-मीठे अनुभव!

टीम मंजरी की कलम से रिट्रीट के खट्टे-मीठे अनुभव!

प्यारे साथियों रिट्रिट की सुबह पहुँचे और पहुँचते ही बेट-बॉल से हाथ दो-चार किए. 2023 की रिट्रिट के दौरान बल्ला उठाया था और आज एक साल बाद तो जोड़ों में दर्द होना स्वाभाविक था ऊपर से ट्रेन की थकान. यही नहीं सुबह बेट-बॉल और शाम को बेडमिंटन और बॉलीबॉल. संजय महाशय की तरह थोड़े ही…. मैदान में आए और अपायरिंग करके निकल लिए और शाम को बॉलीवाल के नाम पर सिर्फ़ सर्विस करके खेल से किनारा कर लिया. हमने क्रिकेट में अमित से अपना अंगूठा तुड़वाया और संजय की सर्विस पर सबसे छोटी उँगली, अंगूठा तो ठीक हो गया है लेकिन अंगूली अभी भी दर्द कर रही है इससे सबक़ मिलता है हर जगह अंगुली नहीं करनी चाहिए.

चलिए कारवां को आगे बढ़ाते है रिट्रीट के दौरान खरे साहब की कई बातें दिमाग़ में बड़ी अच्छी तरह से घर की. ख़ासतौर पर विजन और मिशन का अंतर वर्ना पूरी ज़िंदगी क्या इंसान भी गुजर जाता है लेकिन दोनों का अंतर नहीं समझ पाता. मंजरी यानी नई कोंपल (नए साथी) के गहन सवाल और इंटरेक्शन बेहद ही अच्छे लगे. खरे साहब की पूरी ऐक्टिविटी के दौरान मुझे उनका 19998, ब्लांक और संयासी वाली ऐक्टिविटी बहुत अच्छी लगी और वो इसलिए क्योंकि ये ऐक्टिविटी मैंने घर पहुँचकर अपने बालक पर पेल डाली लेकिन जैसा कि आप सभी जानते है माँ के सामने बालक पर कुछ नहीं पेला जा सकता तो उल्टा हम ही पेल दिए गए.

एक सबसे अच्छी चीज हुई कि इस बार हमें टी-३ में रूकने का दुर्भाग्य नहीं बल्कि वाइट बिल्डिंग में रूकने का सौभाग्य प्राप्त हुआ. वजह बस एक ही है हमें छिपकलियों से बड़ा डर लगता है और टी-३ को मोटी-मोटी छिपकलियाँ ने अपना घर बना रखा है और किसी और के घर में क़ब्ज़ा करने की ना ही अपनी आदत है ना ही संस्कार मिले हैं.

रिट्रीट की बात हो और खाने का ज़िक्र ना हो तो फिर कुछ बेमानी सा होगा. खाना और स्नेक्स दोनों ही इस बार बहुत ही बढ़िया थे और इसके लिए एक ही मुजरिम ज़िम्मेदार है वो है दीपक महाशय. खाने का पूरा लुत्फ़ उठाया जाए तो इसके लिए ज़रूरी है कि रिट्टीट के तीन दिन के बीच मंगलवार नहीं पढ़ना चाहिए क्योंकि उस दिन हम शाकाहारी होने का दिखावा करते हैं.

दिन के समापन की बात करते हैं तो वो बेहद रंगारंग हुई. सभी लोगों ने अपनी प्रतिभा का परिचय देने की पूरी कोशिश की. इस दौरान कई साथियों की डासिंग-सिगिंग की प्रतिभा का मैं तो क़ायल हो गया. हालाँकि हॉल का पूरा माहौल एक सांस्कृतिक कार्यक्रम का आभास करा रहा था लेकिन कभी कभी कुछ साथियों की बदौलत माहौल डांस बार में भी तब्दील हो जाता था, वैसे इसमें कोई बुराई नहीं है हर तरह का एंजायमेंट ज़रूरी होता है जैसे कि हर एक दोस्त……………होता है.

कुल मिलाकर मेरे लिए ये रिट्रिट अपने को रिवाइव करने का एक बेहतर मौक़ा लेकर आई और मैंने सिर्फ़ इस दौरान खुलकर मज़े किए.